Tuesday, June 14, 2016

14>চাণক্য =CHANAKYA==.>( 1 to 9 )

MY COLLECTIONS
14>Myc==14=====চাণক্য =CHANAKYA=======.>( 1 to 9 )
Chanakya 

1>11 Times Chanakya Proved He Was Better At Office Politics Than You Will Ever Be
2>आचार्य चाणक्य=भारत की प्रगति
3>चाणक्‍य की नीति:--
4> चाण्क्य उवाच
5>आचार्य चाणक्य के 15 अमर वाक्य – संस्कृति।
6>चाणक्य की चुनौती: चार बातें आप किसी को नही सीखा सकते

7>महारानी लक्ष्मीबाई इतिहास*
8>आचार्य चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----
9> মহান কূটনীতিবিদ আচার্য্য চাণক্যের কিছু
     অমর শুক্তি বাক্য :-


============================================================


1>11 Times Chanakya Proved He Was Better At Office Politics Than You Will Ever Be

Chanakya was one shrewd advisor, whose pearls of wisdom are relevant even today. Here are 11 precious lines from the Arthashastra, of which he was the author, that will help you excel in your work life.

#1 A PERSON SHOULD NOT BE TOO HONEST. STRAIGHT TREES ARE CUT FIRST

      AND HONEST PEOPLE ARE SCREWED FIRST.
This is the reason people who follow the ‘yes boss’ route are smart. Instead of being honest and axing on your own foot, try being diplomatic. Only because true opinions are painful and people don’t want to hear them. Being too honest and direct makes you come across as a rude person who doesn’t value feelings. On the contrary, being diplomatic doesn’t hurt anybody and you can easily get things done.

#2 BEFORE YOU START SOME WORK ,ALWAYS ASK YOURSELF THREE QUESTIONS-
    WHY AM I DOING IT, WHAT THE RESULTS MIGHT BE AND WILL BE SUCCESSFUL.
    ONLY WHEN YOU THINK DEEPLY AND FIND SATISFACTORY ANSWERS S TO THESE       QUESTIONS,GO AHEAD,

Sounds like a foolproof plan to save your time from getting wasted, right? A smart worker will only do things that will yield results. They won’t do donkey’s work and, instead, will save their time by being productive at what they do.

#3 ONCE YOU START WORKING ON SOMETHING, DON'T BE AFRAID OF FAILURE AND
     DIN'T ABANDON IT. PEOPLE WHO WORK SINCERELY ARE THE HAPPIEST.

The sleep that you get after a hard day’s work is the most peaceful sleep. Hard work might or might not pay, but the satisfaction of working hard is the best feeling to experience. Proving your worth by sincere hard work makes you a valued employee who is important to the organisation.

#4 THE BIGGEST GURU-MANTRA IS ; NEVER SHARE YOUR SECRETS WITH ANYBODY.
     IT WILL DESTROY YOU.

This applies if you have a BFF at your workplace. Remember, it’s a workplace and not your college where you have selfless friendship with your colleagues. Watch out for how much you reveal about your personal life at work. Imagine what would happen if your secrets get passed on and you get stabbed in the back by your work BFF? Exactly. So avoid it and do what you need to to maintain a healthy balance between work and personal life by keeping your secrets to yourself.

#5 THERE IS SOME SELF-INTEREST BEHIND EVERY FRIENDSHIP. THERE IS NO
FRIENDSHIP WITHOUT SELF INTERESTS. THIS IS A BITTER TRUTH.

This lesson not only applies to work life, but to life in general. We try to be friends with someone because we ‘want’ to share our interests with them, we ‘want’ to be in their group, we ‘want’ to make them like us. There is always a motive behind friendship because we are needy. Choose your company wisely.

#6 THERE ARE THREE GEMS UPON THIS EARTH, ; FOOD, WATER, AND PLEASING
     WORDS -FOOLS ( MUD HAS ) CONSIDER PIECES OF ROCKS AS GEMS.

Apart from roti, kapda aur makaan, ‘pleasing words’ are also a basic necessity. At first, if you can’t solve a problem by a stern instruction, try being soft. Chances are your work might get done easily. If not, you will have to twist someone around that little finger.

#7 AS SOON AS THE FEAR APPROACHES NEAR, ATTACK AND DESTROY IT.

Do you get scared and nervous while giving a presentation in front of a tough audience? Or do you fumble while pitching your ideas to your boss and your team? Well, if that’s the case then this point is for you. Fear is your fierce enemy. It’s standing in between of you and the goal you’ve been dreaming of. If you muster up some courage, give it your best and go the ‘que sera sera’ route, then you will overcome fear and show it the exit door.

#8 TILL THE TIME YOU DON'T DECIDE TO RUN , YOU ARE NOT IN THE COMPETITION.

A no-brainer here. If the competition is tough, then you’ve got to be tougher. You’ve got to be one step ahead of your competition. That’s how it is when it comes to winning the corporate race and climbing the corporate ladder.

#9 EVEN IF SNAKE IS NOT POISONOUS, IT SHOULD PRETEND TO BE VENOMOUS.

Otherwise society will take undue advantage of you. Being intimidating helps because people won’t run over you. If you come across as an over-friendly, people pleaser, then you’re sending out a wrong message.

#10 IF YOU WANT TO CAST A SPELL ON AN INTELLIGENT PERSON THEN TELL HIM THE TRUTH.

They are going to find out the truth anyway, so you better not fool around in front of a bright person. For instance, if you’re at an interview and a highly qualified person is asking you questions, avoid bluffing. Chances are that you might get caught and make a fool of yourself.

#11 LEARN FROM THE MISTAKES OF OTHERS----YOU CAN'T LIVE LONG ENOUGH TO
MAKE THEM ALL YOURSELVES.//

The most important of them all – learn from the mistakes of others. It’s a great opportunity to learn from someone else’s failure. You have to see to it that it’s someone else is making a mistake and not you. Learning from someone else's mistakes will help you climb up a step of the progress ladder to reach the top.
===========================================================
2>आचार्य चाणक्य=भारत की प्रगति

घटना उन दिनों की है जब भारत पर चंद्रगुप्त मौर्य का शासन था और आचार्य चाणक्य यहाँ के महामंत्री थे और चन्द्रगुप्त के गुरु भी थे उन्हीं के बदौलत चन्द्रगुप्त ने भारत की सत्ता हासिल की थी !! चाणक्य अपनी योग्यता और कर्तव्यपालन के लिए देश विदेश मे प्रसिद्ध थे !! उन दिनों एक चीनी यात्री भारत आया यहाँ घूमता फिरता जब वह पाटलीपुत्र पहुंचा तो उसकी इच्छा चाणक्य से मिलने की हुई !! उनसे मिले बिना उसे अपनी भारत यात्रा अधूरी महसूस हुई !! पाटलिपुत्र उन दिनों मौर्य वंश की राजधानी थी !! वहीं चाण क्य और सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य भी रहते थे लेकिन उनके रहने का पता उस यात्री को नहीं था !! लिहाजा पाटलिपुत्र मे सुबह घूमता-फिरता वह गंगा किनारे पहुँचा !! यहाँ उसने एक वृद्ध को देखा जो स्नान करके अब अपनी धोती धो रहा था !! वह साँवले रंग का साधारण व्यक्ति लग रहा था -

लेकिन उसके चहरे पर गंभीर थी उसके लौटने की प्रतीक्षा मे यात्री एक तरफ खड़ा हो गया !! वृद्ध ने धोती धो कर अपने घड़े मे पनी भरा और वहाँ से चल दिया !! जैसे ही यह यात्री के नजदीक पहुंचा यात्री ने आगे बढ़कर भारतीय शैली मे हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और बोला – “महाशय मैं चीन का निवासी हूँ भारत मे काफी घूमा हूँ यहाँ के महामंत्री आचार्य चाणक्य के दर्शन करना चाहता हूँ !! क्या आप मुझे उनसे मिलने का पता बता पाएंगे ??” वृद्ध ने यात्री का प्रणाम स्वीकार किया और आशीर्वाद दिया !! फिर उस पर एक नज़र डालते हुये बोला -“अतिथि की सहायता करके मुझे प्रसन्नता होगी आप कृपया मेरे साथ चले !!” फिर आगे-आगे वह वृद्ध और पीछे-पीछे वह यात्री चल दिये !! वह रास्ता नगर की ओर न जा कर जंगल की ओर जा रहा था !! यात्री को आशंका हुई की वह वृद्ध उसे किसी गलत स्थान पर तो नहीं ले जा रहा है !! फिर भी उस वृद्ध की नाराजगी के डर से कुछ कह नहीं पाया !! वृद्ध के चहरे पर गंभीरता और तेज़ था जिससे की चीनी यात्री उसके सामने खुद को बहुत छोटा महसूस कर रहा था !! उसे इस बात की भली भांति जानकारी थी की भारत मे अतिथियों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है और सम्पूर्ण भारत मे चाणक्य और सम्राट चन्द्रगुप्त का इतना दबदबा था की कोई अपराध करने की हिम्मत नहीं कर सकता था !! इसलिए वह अपनी सुरक्षा की प्रति निश्चिंत था !! वह यही सोच रहा था की चाणक्य के निवास स्थान मे पहुँचने के लिए ये छोटा मार्ग होगा !! वृद्ध लंबे- लंबे डग भरते हुये काफी तेजी से चल रहा था !! चीनी यात्री को उसके साथ चलने मे काफी दिक्कत हो रही थी !! नतीजन वह पिछड़ने लगा !! वृद्ध को उस यात्री की परेशानी समझ गयी व धीरे- धीरे चलने लगा !! अब चीनी यात्री आराम से उसके साथ चलने लगा !! रास्ता भर वे खामोसी से आगे बढ़ते रहे !! थोड़ी देर बाद वृद्ध एक आश्रम से निकट पहुंचा जहां चारों ओर शांति थी तरह- तरह के फूल पत्तियों से से आश्रम घिरा हुआ था !! वृद्ध वहाँ पहुंच कर रुका और यात्री को वहीं थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के लिए कह कर आश्रम मे चला गया !! यात्री सोचने लगा की वह वृद्ध शायद इसी आश्रम मे रहता होगा और अब पानी का घड़ा और भीगे वस्त्र रख कर कहीं आगे चलेगा !! कुछ क्षण बाद यात्री से सुना – “महामंत्री चाणक्य अपने अतिथि का स्वागत करते है !! पधारिए महाशय !!” यात्री ने नज़रे उठाई और देखता रह गया वही वृद्ध आश्रम के द्वार पर खड़ा उसका स्वागत कर रहा था !! उसके मुंह से आश्चर्य से निकाल पड़ा “आप ??” “हाँ महाशय !!” वृद्ध बोला “मैं ही महामंत्री चाणक्य हूँ और यही मेरा निवास स्थान है !! आप निश्चिंत होकर आश्रम मे पधारे !!” यात्री ने आश्रम मे प्रवेश किया लेकिन उसके मन में यह आशंका बनी रही कि कहीं उसे मूर्ख तो नही बनाया जा रहा है !! वह इस बात पर यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि एक महामंत्री इतनी सादगी का जीवन व्यतीत करता है !! नदी पर अकेले ही पैदल स्नान के लिए जाना !! वहाँ से स्वयं ही अपने वस्त्र धोना, घड़ा भर कर लाना और बस्ती से दूर आश्रम मे रहना, यह सब चाणक्य जैसे विश्वप्रसिद्ध व्यक्ति कि ही दिनचर्या है !! उस ने आश्रम मे इधर उधर देखा !! साधारण किस्म का समान था !! एक कोने मे उपलों का ढेर लगा हुआ था !! वस्त्र सुखाने के लिए बांस टंगा हुआ था !! दूसरी तरफ मसाला पीसने के लिए सील बट्टा रखा हुआ था !! कहीं कोई राजसी ठाट-बाट नहीं था !! चाणक्य ने यात्री को अपनी कुटियाँ मे ले जाकर आदर सहित आसान पर बैठाया और स्वयं उसके सामने दूसरे आसान पर बैठ गए !! यात्री के चेहरे पर बिखरे हुए भाव समझते हुये चाणक्य बोले – “महाशय, शायद आप विश्वास नहीं कर पा रहे है कि, इस विशाल राज्य का महामंत्री मैं ही हूँ तथा यह आश्रम ही महामंत्री का मूल निवास स्थान है !! विश्वास कीजिये ये दोनों ही बातें सच है !! शायद आप भूल रहे है कि आप भारत मे है जहां कर्तव्यपालन को महत्व दिया जा रहा है, ऊपरी आडंबर को नहीं !! यदि आपको राजशी ठाट-बाट देखना है तो आप सम्राट के निवास स्थान पर पधारे, राज्य का स्वामी और उसका प्रतीक सम्राट होता है, महामंत्री नहीं !!” चाणक्य कि बाते सुन कर चीनी यात्री को खुद पर बहुत लज्जा आयी कि उसने व्यर्थ ही चाणक्य और उनके निवास स्थान के बारे मे शंका की – इत्तेफाक से उसे समय वहाँ सम्राट चन्द्रगुप्त अपने कुछ कर्मचारियों के साथ आ गए !! उन्होने अपने गुरु के पैर छूये और कहा – “गुरुदेव राजकार्य के संबंध मे आप से कुछ सलाह लेनी थी इसलिए उपस्थित हुआ हूँ !! इस पर चाणक्य ने आशीर्वाद देते हुये कहा – “उस संबंध मे हम फिर कभी बात कर लेंगे अभी तो तुम हमारे अतिथि से मिलो, यह चीनी यात्री हैं !! इन्हे तुम अपने राजमहल ले जाओ !! इनका भली-भांति स्वागत करो और फिर संध्या को भोजन के बाद इन्हे मेरे पास ले आना, तब इनसे बातें करेंगे !!” सम्राट चन्द्रगुप्त आचार्य को प्रणाम करके यात्री को अपने साथ ले कर लौट गए !! संध्या को चाणक्य किसी राजकीय विषय पर चिंतन करते हुये कुछ लिखने मे व्यस्त थे !! सामने ही दीपक जल रहा था !! चीनी यात्री ने चाणक्य को प्रणाम किया और एक ओर बिछे आसान पर बैठ गया !! चाणक्य ने अपनी लेखन सामग्री एक ओर रख दी और दीपक बुझा कर दूसरा दीपक जला दिया !! इस के बाद चीनी यात्री को संबोधित करते हुये बोले – “महाशय, हमारे देश मे आप काफी घूमे-फिरे है !! कैसा लगा आप को यह देश ??” चीनी यात्री ने नम्रता से बोला – “आचार्य, मैं इस देश के वातावरण और निवासियों से बहुत प्रभावित हुआ हूँ !! लेकिन यहाँ पर मैंने ऐसी अनेक विचित्रताएं भी देखीं हैं जो मेरी समझ से परे है !!” “कौन सी विचित्रताएं, मित्र ??” चाणक्य ने स्नेह से पूछा !! “उदाहरण के लिए सादगी की ही बात कर ली जा सकती है !! इतने बड़े राज्य के महामन्त्री का जीवन इतनी सादगी भरा होगा, इस की तो कल्पना भी हम विदेशी नहीं कर सकते !!” कह कर चीनी यात्री ने अपनी बात आगे बढ़ाई !! “अभी अभी एक और विचित्रता मैंने देखी है आचार्य, आज्ञा हो तो कहूँ ??” “अवश्य कहो मित्र, आपका संकेत कौन सी विचित्रता से की ओर है ??” “अभी अभी मैं जब आया तो आप एक दीपक की रोशनी मे काम कर रहे थे !! मेरे आने के बाद उस दीपक को बुझा कर दूसरा दीपक जला दिया !! मुझे तो दोनों दीपक एक समान लगे रहे है !! फिर एक को बुझा कर दूसरे को जलाने का रहस्य मुझे समझ नहीं आया ??” आचार्य चाणक्य मंदमंद मुस्कुरा कर बोले इसमे ना तो कोई रहस्य है और ना विचित्रता !! इन 2 दीपको मे से एक राजकोष का तेल है और दूसरे मे मेरे अपने परिश्रम से खरीदा गया तेल !! जब आप यहाँ आए थे तो मैं राजकीय कार्य कर रहा था इसलिए उस समय राजकोष के तेल वाला दीपक जला रहा था !! इस समय मैं आपसे व्यक्तिगत बाते कर रहा हूँ इसलिए राजकोष के तेल वाला दीपक जलना उचित और न्यायसंगत नहीं है !! लिहाज मैंने वो वाला दीपक बुझा कर अपनी आमनी वाला दीपक जला दिया !!” चाणक्य की बात सुन कर यात्री दंग रह गया और बोला – “धन्य हो आचार्य, भारत की प्रगति और उसके विश्वगुरु बनने का रहस्य अब मुझे समझ मे आ गया है !! जब तक यहाँ के लोगो का चरित्र इतना ही उन्नत और महान बना रहेगा, उस देश की तरक्की को संसार की कोई भी शक्ति नहीं रोक सकेगी !! इस देश की यात्रा करके और आप जैसे महात्मा से मिल कर मैं खुद को गौरवशाली महसूस कर रहा हूँ !!
===============================================================

3>चाणक्‍य की नीति:--

चाणक्‍य की नीतियों ने भारत के इतिहास को बदलने में अहम भूमिका निभाई है और उनकी बातें आज भी उतना ही मायने रखती हैं. पेश हैं उनकी 10 नीतियां, जो आपको भी जीवन में सफलता दिला सकती हैं.

1. दूसरों की गलतियों से ही सीखो. खुद पर प्रयोग करके सीखोगे तो तुम्हारी आयु कम पड़ जाएगी.

2. कुछ लोग हालात बदलने का प्रयास नहीं करते. जीवन जैसे चल रहा है, बस जीते चले जाते हैं. पर जो प्रगति करना चाहते हैं, ऊपर उठना चाहते हैं - वे अपना सब कुछ दांव पर लगाने से नहीं डरते. संभावना है कि वे हार जाएं, कुछ न कर पाएं लेकिन यह जो कुछ कर दिखाने का प्रयास है - यही उन्हें औरों से अलग बनाता है.

3. हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए और न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

4. कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन सवाल जरूर कीजिये - मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल हो पाऊंगा? और जब गहराई से सोचने पर इन सवालों के संतोषजनक जवाब मिल जाएं, तभी आगे बढ़ें.

5. कोई व्यक्ति अपने कर्मों से ही महान बनता है, अपने जन्म से नहीं.

6. भय को नजदीक न आने दो. अगर यह नजदीक आए तो इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो.
7. एक बार जब आप कोई काम शुरु करते हैं, तो असफलता से डरे नहीं और ना ही उसे त्‍यागें. ईमानदारी से काम करने वाले लोग खुश रहते हैं.
8. ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं, उन्हें दोस्त न बनाओ. वे तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे। समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं.

9. शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य, दोनों ही कमजोर हैं.
10. किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए. सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.
===============================================================
4> चाण्क्य उवाच

शांति से बरकर दुसरा कोई तप नहीं हैं।
संतोष से बरकर कोई सुख नहीं हैं।
लालच से बड़ा कोई रोग नहीं हैं।
और दया से बड़ा कोई धर्म नहीं हैं।
=============================
5>आचार्य चाणक्य के 15 अमर वाक्य – संस्कृति।

आचार्य चाणक्य भारत के सबसे विद्वान आचार्य रहे हैं। उन्होंने चंद्रगुप्त जैसे सामान्य लड़के को भारत का सम्राट बनाया था। आचार्य अपनी बुद्धिमता के लिए जाने जाते थे, उनके अमर वाक्यों को आज सभी लोग चाणक्य नीति के नाम से जानते हैं। आज हम आपको इन्हीं मे से 15 अमर वाक्य बताने जा रहे हैं, जरूर पढ़े।

1- दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी।
2 -किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।
3 -अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए।
4- हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह कड़वा सच है।
5- कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो —मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा?
6 -भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।
7- दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है।
8- काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।
9 -सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।”
10- ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ।
11- व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं।
12 -ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे। समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं।
13 -अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो। छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो। सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो। आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।”
14 -अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।
15 -शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं।
===================================================================


6>चाणक्य की चुनौती: चार बातें आप किसी को नही सीखा सकते...


एक भारत श्रेष्ठ भारत का मोदी हालही में काफी दोहरा चुके है जो की असल में चाणक्य का दिया हुआ है, इसी सोच से उन्होंने एक आम बालक को मौर्य साम्राज्य का अधिपति बना दिया. उन्होंने चन्द्रगुप्त को बहुत सी चीजे सिखाई लेकिन चार बातों या आदतो या गुणों के बारे में बताया की ये कोई भी किसी को नही सीखा सकता ये व्यक्ति को जन्मजात स्वाभाविक मिलती है.

1.एक भारत श्रेष्ठ भारत का मोदी हालही में काफी दोहरा चुके है जो की असल में चाणक्य का दिया हुआ है, इसी सोच से उन्होंने एक आम बालक को मौर्य साम्राज्य का अधिपति बना दिया. उन्होंने चन्द्रगुप्त को बहुत सी चीजे सिखाई लेकिन चार बातों या आदतो या गुणों के बारे में बताया की ये कोई भी किसी को नही सीखा सकता ये व्यक्ति को जन्मजात स्वाभाविक मिलती है.

2.डिसिशन ओन दी स्पॉट, किसी को भी यह नहीं बताया जा सकता कि वह किस परिस्थिति में क्या करे। हर घडी बदलती दुनिया में सही-गलत का चुनाव व्यक्ति को स्वयं ही करना पड़ता है। जो मनुष्य समय रहते सही रस्ते को चुनता है वह जीवन में कभी बैक सीटेड नहीं रहता है। ये खुबिया व्यक्ति में अपने से ही विकसित होती है, चाहे वो हालातो से सिख लेके, पिछले जन्मो के कर्मो से हो या संस्कारो की वजह से हो पर ये सिखाये नहीं जा सकते है।

3.डिसिशन ओन दी स्पॉट, किसी को भी यह नहीं बताया जा सकता कि वह किस परिस्थिति में क्या करे। हर घडी बदलती दुनिया में सही-गलत का चुनाव व्यक्ति को स्वयं ही करना पड़ता है। जो मनुष्य समय रहते सही रस्ते को चुनता है वह जीवन में कभी बैक सीटेड नहीं रहता है। ये खुबिया व्यक्ति में अपने से ही विकसित होती है, चाहे वो हालातो से सिख लेके, पिछले जन्मो के कर्मो से हो या संस्कारो की वजह से हो पर ये सिखाये नहीं जा सकते है।

4.यदि कोई कटु वक्ता है तो उसे कितना भी समझा लो पर वो अपना स्वभाव लंबे समय तक के लिए नहीं बदल सकता है। जो व्यक्ति जन्म से ही कड़वा बोलने वाला है, उसे मीठा बोलना नहीं सिखाया जा सकता। यह आदत भी व्यक्ति के जन्म के साथ ही उसके स्वभाव में शामिल रहती है।
इस प्रकार चाणक्या ने ये 4 चीजे बताई हैं, जो आप सिख भी नहीं सकते और कोई आपको सीखा भी नहीं सकता ये आपको जन्म जात ही मिलती है।


===================================================================
7>महारानी लक्ष्मीबाई इतिहास*

किसी पुण्यात्मा को जने पर बी आपक मन बी पुण्य हो जता है इसी लिये आत्मा को शुद्ध रके - जय जननी,जय माँ भारती-

*महारानी लक्ष्मीबाई इतिहास*

पूरा नाम – राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव.
जन्म – 19 नवम्बर, 1828.
जन्मस्थान – वाराणसी.
पिता – श्री. मोरोपन्त.
माता – भागीरथी
शिक्षा – मल्लविद्या, घुसडवारी और शत्रविद्याए सीखी.
विवाह – राजा गंगाधरराव के साथ.

लक्ष्मीबाई उर्फ़ झाँसी की रानी मराठा शासित राज्य झाँसी की रानी थी, जो उत्तर-मध्य भारत में स्थित है. रानी लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थी जिन्होंने अल्पायु में ही ब्रिटिश साम्राज्य से संग्राम किया था.

लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नमक नगर में 19 नवम्बर 1828 में हुआ था. उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से उसे मनु कहा जाता था. मनु की माँ का नाम भागीरथीबाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था. मनु के माता-पिता महाराष्ट्र से झाँसी में आये थे. मनु जब सिर्फ चार वर्ष की थी तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी. मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे. मनु के माँ की मृत्यु के बाद घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नही था इसलिये मनु के पिता उसे अपने साथ पेशवा के दरबार में ले गये, जहा चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया था. मनु ने बचपन में ही अपनी प्राथमिक शिक्षा घर से ही पूरी की थी और साथ ही मनु ने बचपन में शस्त्रों की शिक्षा भी ग्रहण की थी.

मई 1842 में 8 वर्ष की उम्र में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वह झाँसी की रानी बनी. विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया.1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था लेकिन चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी. बाद में महाराजा ने एक पुत्र को दत्तक ले लिया, जो गंगाधर राव के ही भाई का बेटा था, बाद में उस दत्तक लिए हुए बेटे का नाम बदलकर महाराजा की मृत्यु से पहले दामोदर राव रखा गया था. लेकीन ब्रिटिश राज को यह मंजूर नही था इसलिए उन्होंने दामोदर के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया, उस मुक़दमे में दोनों ही तरफ से बहोत बहस हुई लेकिन बाद में इसे ख़ारिज कर दिया गया. कंपनी शासन उनका राज्य हड़प लेना चाहता था. रानी लक्ष्मीबाई ने जितने दिन भी शासनसूत्र संभाला वो अत्याधिक सुझबुझ के साथ प्रजा के लिए कल्याण कार्य करती रही. इसलिए वो अपनी प्रजा की स्नेहभाजन बन गई थी. तत्पश्चात ब्रिटिश अधिकारियो ने राज्य का खजाना जब्त कर लिया और उनके पति के क़र्ज़ को रानी के सालाना खर्च में से काटने का फरमान जारी कर दिया गया. इसके परिणामस्वरूप रानी को झाँसी का किला छोड़ कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा. मार्च 1854 को रानी लक्ष्मीबाई को किले को छोड़ते समय 60000 रुपये और सालाना 5000 रुपये दिए जाने का आदेश दिया. लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नही हरी और उन्होंने हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया. ब्रिटिश अधिकारी अधिकतर उन्हें झाँसी की रानी कहकर ही बुलाते थे.

घुड़सवारी करने में रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही निपुण थी. उनके पास बहोत से जाबाज़ घोड़े भी थे जिनमे उनके पसंदीदा सारंगी, पवन और बादल भी शामिल है. जिसमे परम्पराओ और इतिहास के अनुसार 1858 के समय किले से भागते समय बादल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बाद में रानी महल, जिसमे रानी लक्ष्मीबाई रहती थी वह एक म्यूजियम में बदल गया था. जिसमे 9 से 12 वी शताब्दी की पुरानी पुरातात्विक चीजो का समावेश किया गया है.

उनकी जीवनी के अनुसार ऐसा दावा किया गया था की दामोदर राव उनकी सेना में ही एक था, और उसीने ग्वालियर का युद्ध लड़ा था, ग्वालियर के युद्ध में वह अपने सभी सैनिको के साथ वीरता से लड़ा था. जिसमेतात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओ ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिको की मदद से ग्वालियर के एक किले पर कब्ज़ा कर लिया. 17 जुन 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रिटिश सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई ने वीरगति प्राप्त की.

भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाली झाँसी की रानी एक आदर्श वीरांगना थी. सच्चा वीर कभी आपत्तियों से नही घबराता. उसका लक्ष्य हमेशा उदार और उच्च होता है. वह सदैव आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ट होता है. और ऐसी ही वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई थी.

रानी लक्ष्मी बाई 

रानी लक्ष्मी बाई (जन्म: 19 नवम्बर 1835 – मृत्यु: 17 जून 1858)
लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था परन्तु प्यार से सब उन्हें मनु कहकर पुकारते थे। मनु का जन्म वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में 19 नवम्बर 1835 को हुआ था तथा उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई तथा पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था। मोरोपन्त एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान एवं धार्मिक महिला थीं। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्रों की शिक्षा भी ली। सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया।
1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं जिन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से संग्राम किया और रणक्षेत्र में वीरगति प्राप्त की किन्तु जीते जी अंग्रेजों को अपनी झाँसी पर कब्जा नहीं करने दिया।
पतंजलि योगपीठ परिवार की ओर से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण स्मरण
==========================================
8>आचार्य चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----

1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."

2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."

3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "

4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."

5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"

6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."

7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."

8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."

9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."

10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."

11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."

12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."

13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है."

14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."

15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं .

===================================
9> মহান কূটনীতিবিদ আচার্য্য চাণক্যের কিছু
অমর শুক্তি বাক্য :-

তক্ষশিলা বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপক এবং প্রাচীণ
ভারতের মহান কূটনীতিবিদ আচার্য্য চাণক্যের কিছু
অমর শুক্তি বাক্য :-
□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□□
1. অপরের ভুল থেকে নিজে শিক্ষা নাও । কারণ,
সবকিছু নিজের উপর প্রয়োগ করে শিখতে
চাইলে তোমার আয়ু কম পড়বে ।
2. কোনো ব্যক্তির খুব বেশী সহজ-সরল হওয়া
উচিৎ নয় । কারণ, সোজা গাছ এবং সোজা মানুষদের
প্রথমে কাটা হয় ।
3. যদি কোনো সাপ বিষধর নাও হয়, তবুও তার উচিৎ
বিষধর হওয়ার ভান করা-- এমনভাবে, যেন মনে হয়
সে ইচ্ছা করলেই বিষাক্ত দংশন করতে পারে ।
একই ভাবে দূর্বল ব্যক্তিদেরও সবসময় নিজেদের
দূর্বলতাগুলি লুকিয়ে রাখা উচিৎ, যেন অপরে তার
আভাষমাত্র না পায় ।
4. প্রত্যেক মিত্রতার পেছনে কোনো না
কোনো স্বার্থ অবশ্যই থাকে । এটা একটা কটূ
সত্য ।
5. কোনো কাজ শুরু করার আগে সর্বদা
নিজেকে এই তিনটি প্রশ্ন করবে :-
আমি এটা কেন করতে চলেছি ?
এর পরিনাম কী হতে পারে ?
আমার সফলতার সম্ভাবনা কতটা ?
যদি ঐ প্রশ্নগুলির সন্তোষজনক উত্তর পেয়ে
যাও, তবেই কাজ শুরু কর ।
6. একবার কোনো কাজ শুরু করার পর আর অসফল
হওয়ার ভয় রাখবে না, এবং কাজ ছাড়বে না । যারা নিষ্ঠার
সাথে কাজ করে তারাই সবচেয়ে সুখী ।
7. সবচেয়ে বড় গুরুমন্ত্র হল, কখনও নিজের
গোপন বিষয় অপরকে জানাবে না, এটা তোমাকে
ধ্বংস করে দেবে ।
8. কোনো কাজ কালের জন্য ফেলে রাখা উচিৎ
নয় । পরের মূহুর্তে কী ঘটতে চলেছে তা
কে বলতে পারে ?
9. যা ঘটে গেছে তা ঘটে গেছে । যে সময়
অতীত হয়েছে সেটা নিয়ে ভেবে অনুশোচনা
করে সময় নষ্ট করা অর্থহীন । যদি তোমার দ্বারা
কোনো ত্রুটি হয়ে থাকে, তবে তা থেকে
শিক্ষা নিয়ে বর্তমানকে শ্রেষ্ঠ করার চেষ্টা করা
উচিৎ । যাতে ভবিষ্যৎকে সুরক্ষিত রাখা যায় ।
10. কোনো দূর্বল ব্যক্তি বা রাষ্ট্রের সাথে
শত্রুতা করা আরও বেশী বিপদের । কারণ, সে
এমন সময় এবং এমন জায়গায় আঘাত করতে পারে
যেটার আমরা কল্পনাও করিনি ।
11. অহংকারের মতো শত্রু নেই । সর্বদা নশ্বরতার
কথা মনে রাখবে ।
12. একটি দোষ অনেক গুণকেও গ্রাস করে ।
13. ইন্দ্রিয়গুলিকে নিজের নিয়ন্ত্রণে রাখ ।
ইন্দ্রিয়ের যে অধীন, তার চতুরঙ্গ সেনা
থাকলেও সে বিনষ্ট হয় ।
14. সর্বদা চুপচাপ এবং গুপ্তরূপে কাজ করা উচিৎ ।
15. যে ব্যক্তি নিশ্চিতকে ছেড়ে অনিশ্চিতের
দিকে ধাবিত হয়, তার উভয়ই নষ্ট হয় ।
16. অতি সুন্দরতার কারণে সীতার হরণ হয়েছিল, অতি
গর্বের কারণে রাবণের পতন হল, এবং অতি দানী
হওয়ার জন্য বলিকে পাতালে যেতে হয়েছিল ।
সুতরাং "অতি" কে সর্বদা ত্যাগ করা উচিৎ ।
17. ভয়কে কেবল ততক্ষণ ভয় কর, যতক্ষণ সেটা
তোমার থেকে দূরে আছে ।
18. তোমার প্রতিবন্ধকতাকে (বাধা) তোমারই
পক্ষে কাজে লাগাও । যদি তুমি অবস্থাকে নিজের
পক্ষে আনতে না পার, তবে শত্রুদের জন্য তা
জটিল করে দাও ।

======================================================

13>उज्जैन के कुम्भ =भारत के 111 प्राचीन मंदिर

13>1>उज्जैन के  कुम्भ मेल
      2>भारत के 111 प्राचीन मंदिर – हमारा भारत।



1>उज्जैन के  कुम्भ मेल




========================================================
2>भारत के 111 प्राचीन मंदिर – हमारा भारत।

मंदिर भगवान का आलय होता है इसे देवालय कहा जाता है क्योंकि मंदिर में देवता निवास करते हैं। मंदिरों का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। मंदिरों में लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु भगवान से प्रार्थना करते हैं। वैसे तो रोज भारत में कहीं ना कहीं धार्मिक लोग मंदिर बनवाते रहते हैं, पर इस पोस्ट में हम भारत के एक सौ ग्यारह 111 अतंय्त प्राचीन मंदिरो के लिस्ट देने जा रहे हैं। जरूर पढ़े। इनमेसे कुछ मंदिर अब तत्कालीन पाकिस्तान में भी हैं।

अखंड भारत की चारों दिशाओं में स्थित प्राचीन व भव्य 111 मंदिरों की लिस्ट। यदि आप आध्यात्मिक अनुभव लेना चाहते हैं तो यहां जरूर जाएं।
इसे जरूर पढ़ें…हिन्दू धर्म : तीर्थ करना है जरूरी
1. काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी, उत्तरप्रदेश
2. श्रीरामनथा स्वामी मंदिर रामेश्वरम्, तमिलनाडु
3. श्रीजगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा
4. सूर्य मंदिर कोणार्क, ओडिशा
5. श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर तिरूअनंतपुरम, केरल
6. श्रीमहाकालेश्वर मंदिर उज्जैन, मध्यप्रदेश
7. श्रीगंगा सरस्वती मंदिर बसरा, तेलंगाना
8. एकलिंगनाथजी मंदिर, उदयपुर, राजस्थान
9. श्रीद्वारकाधीश, गुजरात
10. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा
11. श्रीदक्षिणेश्वर मंदिर, कोलकाता
12. श्रीसिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
13. श्रीवेंकटेश्वर मंदिर, तिरूपति
14. कंधारिया महादेव मंदिर, खजुराहो
15. केदारनाथ, उत्तराखंड
16. श्रीमुरूदेश्वर स्वामी मंदिर, कर्नाटक
17. पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू
18. गंगोत्री मंदिर, उत्तराखंड
19. श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा
20. ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर :
21. बद्रीनारायण मंदिर, उत्तराखंड
22. रघुनाथ मंदिर, जम्मू
23. श्रीसोमेश्वर स्वामी मंदिर, गुजरात
24. श्री अयप्पा मंदिर, केरल
25. श्री मीनाक्षी मंदिर, मदुरै
26. श्री कृष्ण मंदिर, केरल
27. श्री रंगनाथा स्वामी मंदिर, श्रीरंगम, तमिलनाडु
28. श्री थिल्लई नटराज मंदिर, चिदंबरम, तमिलनाडु
29. श्री कनक दुर्गा देवी मंदिर, विजयवाडा, आंध्रप्रदेश
30. श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर, भद्राचलम, तेलंगाना
31. श्री नरसिम्हा मंदिर, अहोबिलम, आंध्र प्रदेश
32. विरूपक्ष मंदिर, हम्पी, कर्नाटक
33. एकमबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु
34. श्री अंबाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात
35. श्री चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर, कर्नाटक
36. बृहदीश्वरर मंदिर, थंजावुर, तमिलनाडु
37. होयसेलेश्वरा मंदिर, हलेबिडु, कर्नाटक
38. श्री अरूणाचलेश्वर मंदिर, तिरूवन्नामलाई, तमिलनाडु
39. कंधारिया महादेव मंदिर, खजुराहो, मध्यप्रदेश
40. श्री चतुर्मुख ब्रह्मलिंगेश्वर मंदिर, चेबरोलु, आंध्र प्रदेश
41. एरावटेश्वर मंदिर, दारासुरम, तमिलनाडु
42. श्री मुरूदेश्वर स्वामी मंदिर, भटकल, कर्नाटक
43. शीतला माता मंदिर, गुड़गांव
44. श्री मंजुनाथ मंदिर, कर्नाटक
45. श्री जोगुलंब मंदिर, तेलंगाना
46. मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार
47. श्री चेन्नकेश्वर मंदिर, कर्नाटक
48. श्री बैजनाथ मंदिर, हिमाचल
49. कैलाशनाथ मंदिर, तमिलनाडु
50. श्री वीरभद्र मंदिर, आंध्र प्रदेश
51. श्री ग्रश्नेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
52. श्री कृष्ण मंदिर, कर्नाटक
53. श्री मूकम्बिका देवी मंदिर, कोल्लूर, कर्नाटक
44. श्री वरदराजा स्वामी मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु
55. श्री वीर वेंकट सत्यनारायण स्वामी मंदिर, अन्नावरम्, आंध्र प्रदेश
56. श्री बैद्यनाथ मंदिर, झारखंड
57. श्री वरह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर, सिम्हाचलम, आंध्र प्रदेश
58. श्री लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर
59. श्री राम लला मंदिर, अयोध्या
60. श्रीमुखलिंगेश्वर मंदिर, श्रीकाकुलम, आंध्रप्रदेश
61. त्रिपुरेश्वरी मंदिर, उदयपुर, त्रिपुरा
62. श्री मुक्तेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर
63. यमुनोत्री मंदिर, उत्तराखंड
64. कामाक्षी अम्मन मंदिर, कांचीपुरम, तमिलनाडु
65. वेदनारायण स्वामी मंदिर, चित्तूर, आंध्र प्रदेश
66. श्रीमुंडेश्वरी मंदिर, बिहार
67. वडक्कमनाथन मंदिर, केरल
68. श्रीमहालसा नारायणी देवी मंदिर, पोंडा, गोवा
69.श्रीसूर्य मंदिर, मोधेरा, गुजरात
70. श्रीमल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर, श्रीसैलम, आंध्र प्रदेश
72. कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम
73. त्रयम्बकेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
74. रामप्पा मंदिर, तेलंगाना
75. श्रीवैकुंटनाथ स्वामी, श्री वैकुंठम, तमिलनाडु
76. श्रीवैकोम महादेव मंदिर, केरल
77. दन्तेश्वरी मंदिर, छत्तीसगढ़
78. महानन्दीश्वर मंदिर, महानन्दी, आंध्र प्रदेश
79. श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
80. श्रीवरसिद्धि विनायक मंदिर, कनिपक्कम, आंध्र प्रदेश
81. श्रीमुर्गन मंदिर, तमिलनाडु
82. श्रीथिरूनारायण स्वामी मंदिर, मेलकोट, कर्नाटक
83. श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर, चम्बा, हिमाचल प्रदेश
84. भद्र मारूति मंदिर, महाराष्ट्र
85. तुलजा भवानी मंदिर, महाराष्ट्र
86. श्री सलासर हनुमान मंदिर, सलासर, राजस्थान
87. श्रीनैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
88. मन्नारशाला श्रीनागराज मंदिर, अलप्पुझा, केरल
89. श्रीकरमंध मंदिर, श्रीकरमम, आंध्र प्रदेश
90. श्रीशांता दुर्गा मंदिर, कावालेम, गोवा
91. जगद्पिता ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर
92. श्रीविष्णुपद मंदिर, गया
93. श्रीबद्रीनारायण मंदिर, बद्रीनाथ
94. श्रीचौंसठ योगिनी मंदिर, ओडिशा
95. श्रीकैलाशनाथ मंदिर, एलोरा
96. श्रीमेहंदीपुर बालाजी, मेहंदीपुर राजस्थान
98. श्रीलक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर, यादगिरीगट्टा, तेलंगाना
99. हनुमानधारा, चित्रकुट उत्तर प्रदेश
100. हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान, पाकिस्तान
101. मंचमुख हनुमान मंदिर, कराची, पाकिस्तान
102. यशोरेश्वरी, जिला खुलना, बांग्लादेश
103. श्री शबरी मंदिर गुजरात
104. शनि मंदिर, शिंगणापुर, महाराष्ट्र
105. श्रीमहाकालीका मंदिर, पावागढ़, गुजरात
106. कैलाश मानसरोवर, तिब्बत, चीन
107. बाबा अमरनाथ, कश्मीर, जम्मू और कश्मीर
108. श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, जम्मू, जम्मू और कश्मीर
109. श्री गजानन महाराज, शेगांव, महाराष्ट्र
110. श्री बाबा रामदेव मंदिर, रुणिचा धाम रामदेवरा, राजस्थान
111. श्री गोरखनाथ मंदिर गोरखिया राजस्थान ।।
======================================================